Bihar ki Rajdhani kya hai | बिहार की राजधानी क्या है पूरी जानकारी

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हम आपको Bihar ki Rajdhani kya hai इसके बारे में बताने वाले है क्या आपको भी जननी है की bihar ki rajdhani kahan hai तो यह आर्टिकल को आपको निचे तक पढ़ना है क्यूंकि इसमें हम आपको The Capital Of Bihar In Hindi यानि की Where Is The Capital Of Bihar इसके बारे में पुरे विस्तार से बताया है

Bihar ki Rajdhani kya hai

खेर अभी आप ये जान लें की Bihar ki Rajdhani Patna hai और यदि आप बिहार के बारे में अधिक जानकारी हासिल करना चाहते है तो इस आर्टिकल को पढ़ने की कोसिस करें ताकि आपको अधिक से अधिक जानकारी हासिल हो सके इस आर्टिकल में आपको पटना के इतिहास, पटना की भौगोलिक स्थित, पटना में शिक्षा की सुविधा यह सभी चीज के बारे में निचे विस्तार से बताया गया है और भी बहुत सारी जानकरी दी गई है

बिहार की राजधानी क्या है? (The Capital Of Bihar In Hindi)

बिहार की राजधानी पटना है कहा जाता है कि इसका स्थापना लगभग 490 ईसा पूर्व मगध के राजा ने की थी। प्राचीन समय मे इसके बहुत सारे नाम थे जिसे आज भी जाना जाता है। कुल 136 वर्ग किलोमीटर (53 वर्ग मील) के क्षेत्र और 20 लाख से अधिक लोगों की आबादी के साथ, पटना शहर भारत में 18 वां सबसे बड़ा शहर है। और अगर पूर्वी भारत की बात करें तो कोलकाता के बाद पटना दूसरा सबसे बड़ा शहर है।

बिहार की राजधानी पटना क्यों प्रसिद्ध है? (Why is Patna the capital of Bihar famous?)

पटना अपने प्राचीन संस्कृति, प्राचीन मंदिरों तथा महान व्यक्तियों द्वारा सम्पूर्ण भारतवर्त में प्रसिद्ध और मशहूर है। भारत के सबसे पवित्र नदी गंगा नदी पर है जिसका नाम हम हिन्दू वेद पुराण में सुनते है। सिक्खों के 10वें तथा अंतिम गुरु गुरू गोविन्द सिंह का जन्म पटना में हीं हुआ था इसके मात्र दर्शन के लिए प्रति वर्ष देश-विदेश से लाखों सिक्ख श्रद्धालु पटना में हरमन्दिर साहब में माथा देकने के लिए आते हैं। वहीं प्राचीन बौद्ध और जैन  तीर्थस्थल वैशाली, राजगीर या राजगृह, नालन्दा, बोधगया और पावापुरी पटना शहर में ही स्थित है।

कालीदास, चाणक्‍य, आर्यभट्ट, पणिनि और वत्‍स्‍यानन की जन्‍मभूमि भी पटना ही है। भारत मे महान देशप्रेमी डॉ० राजेंद्र प्रसाद का जन्म पटना में स्थित सदाक़त आश्रम में हुवा था। भारत देश मे अधिकतम आईएएस और आईपीएस केवल बिहार की राजधानी पटना से ही है। दुनिया का सबसे लम्‍बा सड़क पुल महात्‍मा गांधी सेतू पटना में स्थित है जो कि 5575 मीटर लम्‍बा है। महात्‍मा गांधी सेतू पटना और हाजीपुर को जोड़ती है। भारत का राष्ट्रीय अंतर्देशीय नौकायन संस्थान, पटना शहर के गायघाट में स्थित है। यह भारत का एकमात्र राष्ट्रीय अंतर्देशीय नौकायन संस्थान है।

बिहार की राजधानी पटना के विभिन्न नाम एवं उसकी नामोत्पत्ति

जब हम पटना के नामों के लिए इतिहास की चर्चा करते है तो हमे इसके नाम की उत्पत्ति की अनेकों चित्र सामने आते है। जैसे कहा जाता है कि पटना शब्द की उत्पत्ति वहाँ के एक प्रसिद्ध धार्मिक हिन्दू देवी ‘पटन देवी’ के नाम से हुई थी। कहीं यह माना जाता है कि पटना शब्द संस्कृत भाषा के पतन शब्द से आया। जब हम इसके नाम को पूर्व इतिहास से देखते है तो पता चलता है कि मौर्यकाल के प्रसिद्ध यूनानी इतिहासकार मेगस्थनीज ने इस शहर को ‘पालिबोथरा’ नाम से पुकारा था तो वहीं एक प्रसिद्ध चीनीयात्री फाहियान ने पटना को ‘पालिनफू’ (‘पा-लिन-फोऊ’) के नाम से संबोधित किया था।

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पटना के एक और नाम है ‘पाटलीपुत्र’, कहा जाता है कि यह यह नाम पुटरा का राजा, रानी पटाली और उसके पुत्र के सम्बंध में रखा गया था यानी कि जब रानी पटाली ने अपने पुत्र को जन्म दिया तब राजा ने अपनी रानी के लिए अपनी जादू से एक शहर का निर्माण किया था जिसका नाम पटाली और उसके पुत्र के सम्बंध को देखते हुवे रख दिया यानी कि पटाली का पुत्र ‘पाटलीपुत्र’ और उस समय से इस क्षेत्र को पाटलीपुत्र के नाम से पुकारा जाने लगा।

परंतु मान्यता यह है कि पटना के वर्तमान नाम इसी क्षेत्र के महान शासक शेरशाह सूरी के मृत्यु के बाद से प्रचलित है। इसका अर्थ है कि जब पटना क्षेत्र में शेरशाह सूरी का शासन था तब उस समय उसने अपना इस शासन अधिकारी क्षेत्र का नाम ‘पैठना’ रखा था। परंतु उसके मृत्यु हो जाने के बाद इस क्षेत्र का अंतिम हिन्दू शासक या सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य ने क्षेत्र का नाम पैठना से बादल कर कर पटना कर दिया और उस समय से ही इसे पटना के नाम से जाना जाने लगा। पाटलिपुत्र, पुष्पपुरी, कुसुमपुर, आदि सब पटना के प्राचीन नाम है।

बिहार की राजधानी पटना के इतिहास (History of Patna, the capital of Bihar)

मेगास्थनीज़ एक महान यूनानी इतिहासकार थे। इन्होंने एक यूनानी शासक राजा सिल्यूकस के एक राजदूत के नाते चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। इन्होंने ही सबसे पहले पाटलीपुत्र यानी कि पटना के बारे में सर्वप्रथम लिखित विवरण दिया था। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘इंडिका’में यहाँ के लोगों के बारे में तथा इस शहर के बारे में चर्चा करते हुवे सम्पूर्ण जानकारी को विस्तार पूर्वक लिखे थे जिसका उपयोग आज हम पटना के इतिहास जानने के लिए करते है।

अगर हम पटना का इतिहास को देखे तो इसका इतिहास आज से लगभग 490 ईसापूर्व से प्रारंभ होता है जब हर्यक वंश के महान शासक अजातशत्रु ने अपनी राजधानी राजगृह जिसे राजगीर भी कहते है, से बदलकर पटना शहर को स्थापित किया था। इसके बाद मौर्य साम्राज्य का आरम्भ होता है जिसका सम्राट महान चन्द्रगुप्त मौर्य था। महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का साम्राज्य बंगाल की खाड़ी से लेकर अफ़गानिस्तान तक फैल हुवा था। महान सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का शासनकाल तक पाटलीपुत्र का अधिकांश राजमहल लकड़ियों से बने हुवे थे।

जिसे आगे चलकर महान सम्राट अशोक ने नगर को लकड़ियों से शिलाओं की संरचना में ढाल दिया। मौर्यों के पश्चात कण्व एवं शुंगो सहीत अनेक शासकों भी पटना राज्यधानी में शासन किया फिर भी इसका गौरव कम नही हुआ। इसके पश्चात पटना नगर पर गुप्त वंश सहित कई राजवंशों का भी शासन रहा। गुप्त वंश के शासनकाल को प्राचीन भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है। जब पाटलीपुत्र पर गुप्त वंश का शासनकाल खत्म हुआ तब हूणों का भी आक्रमण हुवा था

इसलिए हुणो के आक्रमण एवं गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद इस नगर को वह गौरव और शक्ति हासिल नही हो पाया जो एक समय मौर्य वंश या गुप्त वंश के शासनकाल के समय प्राप्त था। गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद पटना का गौरव और शक्ति दोनों ही कमजोर पड़ गए क्योंकि इसके बाद यानी कि 12वीं सदी में पूरे बिहार प्रान्त पर बख़्तियार खिलजी का अधिपत्य हो गया था। बख़्तियार खिलजी ने अपने शासनकाल के दौरान पाटलीपुत्र के अनेकों आध्यात्मिक प्रतिष्ठानों को नष्ट कर डाला

और इस समय के बाद से पटना देश का सांस्कृतिक और राजनैतिक केन्द्र से विमुख होते चला गया जो पहले अपने सांस्कृतिक और राजनैतिक केन्द्र से सम्पूर्ण देश मे विख्यात था। इसके बाद पटना में मुगल साम्राज्य का शासन आरंभ होता है। कहा जाता है कि मुगल के बादशाहों ने पटना को और भी बेहतर बनाने का प्रयास किया था। हम आगे पटना के इतिहास को देखने के लिए मुगल साम्राज्य की ओर ध्यान केंद्रित करते है

मुगल साम्राज्य:- मुगलकाल के समय में भी दिल्ली के महान सत्ताधारियों और राजाओं ने अपना नियंत्रण पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) पर बनाए रखा। जब इस काल मे शेरशाह सूरी का शासनकाल आया तो मुगलकाल में पाटलीपुत्र का गौरव और शक्ति पुनः पुनर्जीवित हुवा। उसने पटना में बहुत से दुर्ग की निर्माण किये और मस्जिद भी बनवाये जो आज के समय में अफ़ग़ान शैली में बना एक मस्जिद अभी भी है।

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अब हम बात करते है 1574 ईसवी की जब मुगल साम्राज्य के महान शासक बादशाह अकबर की सेना पटना अफ़गान सरगना दाउद ख़ान को पराजित करने के लिए आई। इस घटना का विवरण अकबर के राज्य सचिव जो आइने-अकबरी के लेखक भी थे यानी कि अबुल फ़जल ने इस जगह को कागज, पत्थर तथा शीशे का सम्पन्न औद्योगिक केन्द्र के रूप में वर्णित किया। यूरोप में प्रसिद्ध चावल के विभिन्न नस्लों की गुणवत्ता का उल्लेख जो पटना राइस के नाम से जाने जाते है ये सभी चीजो का विवरण भी इसमे मिलता है।

मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल के दौरान पटना में कुछ विशेष बदलाव नही हुवे। इस समय मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने प्रिय पोते मुहम्मद अज़ीम के अनुरोध पर 1704 ईसवी में, पाटलीपुत्र शहर का नाम बदलकर अपने पोते के नाम पर अजीमाबाद कर दिया। उस वक्त मुहम्मद अज़ीम पटना के केवल सूबेदार ही था।

पटना में जैसे ही मुगलसाम्राज्य का पतन हुआ वैसे ही फिर पटना बंगाल के नबाबों के शासनाधीन हो गया। इन्होंने पटना पर बहुत अधिक कर थोप दी परंतु पटना को वाणिज्यिक केन्द्र बने रहने दिया। अंग्रेज़ों ने 1620 में रेशम तथा कैलिको के व्यापार के लिये पटना के विभिन्न क्षेत्रों में फैक्ट्री खोली। और जल्द ही पटना  पोटेशियम नाइट्रेट के व्यापार का मुख्य केन्द्र बन गया। यानी कि 17वीं शताब्दी तक पटना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का केन्द्र बन चुका था।

जब बिहार 1912 ईसवी में बिहार बंगाल से अलग हुवा तब वहाँ के आई एफ़ मुन्निंग ने पटना के प्रशासनिक भवनों न्यायालय, विधानसभा भवन इत्यादि का निर्माण करवाया। इस समय तक झारखंड और उड़िसा बिहार के अंतर्गत ही आते थे जिसका जिला पटना ही स्थापित किया गया था परंतु 1935 ईसवी में उड़ीसा बिहार राज्य से अलग होकर एक अपना राज्य स्थापित किया और फिर 2000 ईसवी को आदिवासी मांग के कारण झारखण्ड भी एक अलग राज्य बना। पटना बिहार की राजधानी बनी रही।

पटना का जनसंख्या और क्षेत्रफल (Areas and Population of Patna)

अगर बात करें पटना की जनसंख्या के बारे में तो 1807 ईसवी से 1814 ईसवी के बीच पटना की जनसंख्या लगभग 3,12,000 थी परन्तु वर्ष 1814 के बाद पट्टिका की महामारी, नदी जनित व्यापार, और लगातार अस्वास्थ्यकरता के कारण 1872 ईसवी में यह जनसंख्या घटकर लगभग 1,58,000 हो गई। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार पटना की जनसंख्या लगभग 16,83,200 है और वहीं वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार पटना महानगर की जनसंख्या 2,046,652 है।

पटना जनसंख्या का घनत्व जो वो 1132 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। अगर बात की जाए इसकी लिंगनुपात 882 स्त्री प्रति 1,000 पुरूष है। यहाँ का साक्षरता दर पुरूषों में 87.71% तथा स्त्रियों में 81.33% है। मेगास्थनीज द्वारा लिखित पुस्तक इंडिका में प्राचीन पटना का क्षेत्रफल 9 मील (14.5 कि॰मी॰) लम्बा तथा 1.75 मील (2.8 कि॰मी॰) चौड़ा था। पटना लगभग 15 कि॰मी॰ लम्बा और 7 कि॰मी॰ चौड़ा है।

बिहार की राजधानी पटना की भौगोलिक स्थिति (Geographical location of Patna, the capital of Bihar)

पटना गंगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। पटना नगर तीनो ओर से गंगा नदी, सोन नदी और पुनपुन नदी नदियों से घिरा है। समुद्रतल से पटना की ऊँचाई 53 मीटर है। अगर बात करें यहाँ की तापमान की तो यहाँ गर्मी में तापमान लगभग 43 °C से 21 °C तक रहता है और ठण्ड में यहाँ का तापमान 20 °C से 6 °C तक रहता है। पटना में औसत वर्षा 1,200 मिलीमीटर तक होता है। पटना चार बड़ी नदियों के समीप बसा है और इसी कारण से यहाँ आर्द्रता सालोभर अधिक बनी रहती है। गंगा, सोन, गंडक और पुनपुन नदी पटना की यही चार प्रमुख नदियाँ है जिसमे से गंगा विश्वप्रसिद्ध नदी है।

बिहार की राजधानी पटना में शिक्षा (Education in Bihar’s capital Patna)

कहा जाता है कि पटना प्राचीनकाल से ही ज्ञान का भंडार बना हुवा है। और यहाँ ज्ञान की खोज में कई चिनियात्री भी आये जिसमे से एक फाहियान था जो प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों का भर्मण किया था। इन्होंने ही पाटलीपुत्र का नाम ‘पा-लिन-फोऊ’ दिया था।

पटना आज भी अपने शिक्षा के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहाँ भी बहुत से सरकारी और प्राइवेट विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, स्थित है जहाँ से छात्र अपने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के साथ साथ उच्च शिक्षा भी प्राप्त कर सकता है। यहाँ भी शिक्षा का दो रूप चलते है पहला राज्य स्तर की शिक्षा यानी कि बिहार बोर्ड और दूसरा केन्द्रीय स्तर की शिक्षा यानी कि सीबीएसई बोर्ड। पटना में तीन विश्वविद्यालय पटना विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय तथा नालन्दा मुक्त विश्वविद्यालय स्थित है जहाँ उच्च स्तरीय शिक्षण के लिए दूसरे राज्यों का भी छात्र आते है।

पटना विश्वविद्यालय की स्थापना 1917 ईसवी को हुई थी और यह भारतीय उपमहाद्वीप का सातवां सबसे पुराना यूनिवर्सिटी है। अनुग्रह नारायण सिंह कॉलेज, पटना के सबसे प्रसिद्ध विद्यालय है जो विश्वास को भी अपने शिक्षण पर बिहार राज्य का परिचय दिया है। आइआइटी पटना तथा चाणक्या लॉ युनिवर्सिटी पटना में शिक्षा के उत्तम विकल्प है। और हाल ही में बना बिहार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग को भी एनआईटी का दर्जा मिल गया।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ बिहार , चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी, आई.आई.टी., नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी मौलाना मजहरुल हक अरबी फारसी यूनिवर्सिटी, पटना मेडिकल कॉलेज, आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज , चन्द्रगुप्त इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, नतिओन इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैसन टेक्नोलॉजी।

यहाँ के स्कूल बिहार विद्यालय परीक्षा समिति , आल इण्डिया इंडियन सर्टिफिकेट आफ सेकेंडरी एजुकेशन, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओपन स्कूलिंग या सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एजुकेशन बोर्ड से संबध है। आगर बात करे पटना में प्रबंधन, सूचना तकनीक, जनसंचार एवं वाणिज्य की पढ़ाई हेतु शिक्षा केंद्र की तो हाल ही में ‘कैटलिस्ट प्रबंधन एवं आधुनिक वैश्विक उत्कृष्टता संस्थान’ अर्थात सिमेज कॉलेज की स्थापना की गयी है।

बिहार की राजधानी पटना के पर्यटन स्थल (Tourist places of Patna, the capital of Bihar)

पटना प्राचीनकाल से एक दर्शनीय स्थल है। पटना में कई सारे पर्यटन स्थल है जहाँ देशलोग के साथ साथ विश्वलोग भी घूमने के लिए आते है। आइये आगे हम पटना के विभिन्न पर्यटन स्थलों का चर्चा करते है

पटना तारामंडल:- यहाँ अंतरिक्ष और ब्रह्माण्ड से सम्बंधित सम्पूर्ण चीजों को देखा और ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। यानी कि यहाँ आप मनोरंजन के लिए मानवनिर्मित खगोलीय पिंडो को देख सकते है। यह पटना के इंदिरा गांधी विज्ञान परिसर में स्थित है।

तख्त श्रीहरमंदिर साहेब:- सिखों के दसमें और अंतिम गुरु ‘गुरु गोविन्द सिंह’ की जन्म स्थल है। सीखों के नवम गुरु श्री तेगबहादुर के पटना में रहने के दौरान गुरु गोविन्द सिंह ने अपने बचपन के कुछ वर्ष पटना शहर में बिताए थे। यह सिखों का सबसे पवित्र स्थान है जहाँ पर्त्येक वर्ष लाखों से ऊपर की संख्या में दार्शनिक माथा टेकने के लिए आते है।

महावीर मन्दिर:- पटना में स्थित श्री रामभक्त हनुमान का यह मंदिर  न्यू मार्किट में बने मस्जिद के साथ खड़ा है। इस मंदिर को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। यह पटना जंक्शन के ठीक बाहर स्थापित है।

गोलघर:- पटना का यह गोलघर आपने खास आकृतियों के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण सन 1770 ईसवी को हुवा था जब इस क्षेत्र में भयानक आकाल पडा तब अनाज रखने के लिए इसका निर्माण करवाया गया था। आज के समय मे यह पटना में काफी मशहूर है जिसे देखने के लिए बहुत से लोग जाते है।

गांधी मैदान:- पटना के गांधी मैदान को पटना के दिल कहा जाता है। जनसभाओं, सम्मेलनों तथा राजनीतिक रैलियों के अतिरिक्त यह मैदान पुस्तक मेला तथा दैनिक व्यायाम का भी केन्द्र है। यह पटना के सबसे प्रसिद्ध मैदान है।

क़िला हाउस:- दीवान बहादुर राधाकृष्ण जालान द्वारा बादशाह शेरशाह के किले के अवशेष पर बनाया गया था। इस भवन में हीरे जवाहरात तथा चीनी वस्तुओं का एक निजी संग्रहालय को देख जा सकता है।

अगम कुँआ:- यह काफी प्राचीन कुआँ है जो गुलजा़रबाग स्टेशन के पास स्थित है। यह इतिहास में विख्यात मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक के काल का कुआँ है जिसका निर्माण सम्राट अशोक ने किया था।

ऐसे ही शहीद स्मारक, पादरी की हवेली, शेरशाह की मस्जिद, पत्थर की मस्जिद , बेगू हज्जाम की मस्जिद, दरभंगा हाउस, संजय गांधी जैविक उद्यान, सदाक़त आश्रम, ख़ुदाबख़्श लाईब्रेरी, पटना संग्रहालय, श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र, कुम्हरार, सभ्यता द्वार आदि सब पटना के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जहाँ आप आप भी भ्रमण के लिए जा सकते है।

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Conclusion 

दोस्तों आज की इस आर्टिकल में हमने आपको Bihar ki Rajdhani kya hai और bihar ki rajdhani kahan hai यह सब के बारे में बताये है क्या आपको यह आर्टिकल पसंद आई यदि हाँ तो इसे आप अपने दोस्तों को जरूर भेजें ताकि उन्हें भी इसके बारे में अच्छे से पता चल सके क्यूंकि इस आर्टिकल में आपको The Capital Of Bihar In Hindi के बारे में तो बताया ही गया साथ में और भी कई सारी जानकारी दी गई है जिसे सभी स्टूडेंट को जननी चाहिए

मुझे उम्मीद है की Bihar ki Rajdhani kya hai यह आर्टिकल आपको पसंद आई होगी तो इसी तरह की आर्टिकल पढ़ने के लिए इस वेबसाइट को विजिट करते रहिये इसमें आपको Education से सम्बंधित जानकारी दी जाती है

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